New Delhi: योग न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी अच्छा होता है। योग के महत्व को बताने के लिए और लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस यानी इंटरनेशनल योग दिवस मनाया जाता है। आपको बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा।
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस
साल 2015 में 21 जून को योग दिवस मनाने का फैसला लिया गया। सवाल है कि 21 जून को ही योग दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक खास वजह है। 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे लोग ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं।
भारतीय परंपरा के मुताबिक, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है। माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है। इसी वजह से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा।
क्या है 2022 की योगा डे की थीम
हर साल योग दिवस को मनाने के लिए एक थीम रखी जाती है। जैसे 2021 में Be with Yoga, Be at Home थी। वहीं, इस साल यानी 2022 में योगा की थीम योगा फॉर ह्यूमैनिटी (Yoga for Humanity) रखी गई है।
अब बात करते हैं आसनों की रानी के बारे में, वैसे तो हम सब जानते हैं कि आसनों का राजा शीर्षासन को कहा जाता है। लेकिन शीर्षासन हर किसी से होता नहीं और हर किसी को इसे करना भी नहीं चाहिए तो इसकी जगह हम कर सकते हैं सर्वंगासन, जिसे आसनों की रानी बोलते हैं। ये करने में तो सरल है ही और इसके फायदे शीर्षासन से कहीं ज्यादा है और न ही इसमें शीर्षासन जितने नियमों का पालन करना पड़ता है तो चलिए जानते हैं सर्वंगासन के बारे में …
सर्वांगासन (Sarvangasana) का अर्थ उसके नाम से ही समझ आने लगता है। एक ऐसा आसन जो सभी अंगों के लिए बना हो। सर्वांगासन (Sarvangasana) संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, सभी अंगों का आसन (All Body Parts Pose)।
सर्वांगासन, तीन शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है सर्व (Sarv) जिसका अर्थ होता है पूरा या संपूर्ण, जिसे अंग्रेजी में Entire भी कहा जाता है। दूसरा शब्द है अंग (Anga), जिसका अर्थ भाग या हिस्से से है। इसे अंग्रेजी भाषा में Part कहा जाता है। तीसरा शब्द आसन (Asana) है, जिसका अर्थ किसी विशेष स्थिति में खड़े होने, लेटने या बैठने से है। इसे अंग्रेजी भाषा में Pose भी कहा जाता है।
इस आसन को करने की क्या है विधि ?
सर्वांगासन को कंधे के बल पर उल्टा खड़े होकर किया जाता है। यदि आप कसरत नहीं कर पाते हैं या योग करने के लिए भी ज्यादा समय आपके पास नहीं होता है तो दिन में एक बार सर्वांगासन का अभ्यास अवश्य करें। सर्वांगसन करने के कई सारे लाभ हैं। महिलाओं के लिए तो यह आसन वरदान है। कई सारी समस्याओं का समाधान इस आसन के अभ्यास से हो जाता है। शुरुआत में आप इसे दीवार के सहारे भी कर सकते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करने पर यह एकदम उत्तम ढंग से होने लगेगा। जिस प्रकार शीर्षासन को आसनों का राजा बोला जाता है उसी प्रकार सर्वांगासन को आसनों की रानी बोलते हैं।
सर्वांगासन के फायदे – Sarvangasana benefits in Hindi
अगर फायदों की बात की जाए तो इस आसन के अनगिनत लाभ हैं। पर यहां हम आपको कुछ खास लाभों के बारे में बता रहे हैं…
बालों का समय से पहले सफेद होना, उनका झड़नास बालो में डैंड्रफ की शिकायत आदि में ये आसन काफी लाभदायक है।
ये आसन रक्त को साफ करता है तथा मस्तिष्क एवं फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
नियमित अभ्यास से बुढ़ापा देरी से आता है और जवान बनाए रखने में मदद करता है।
अगर कोई चहरे की झुरियों से परेशान है या त्वचा में रूखापन है तो सर्वांगासन आपके लिए उत्तम है।
इसके अभ्यास से थाइरॉयड ग्रंथि स्वस्थ रहती है और शरीर के अनियमित बढ़ते वजन को काबू में रखता है।
यह बढ़ती शुगर को काबू करता है।
यह आपके पाचन को ठीक करते हुए अपच, कब्ज और गैस की तकलीफ में आराम दिलाता है।
अगर आप हर्निया से परेशान हैं तो इस आसन का नियमित अभ्यास करें।
बवासीर की तकलीफ में आराम मिलता है और आसन करते वक्त अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करने से बवासीर की शिकायत नहीं होती।
अंतःस्रावी ग्रंथियों के विकारों का उपचार करने में लाभप्रद है।
यौन समस्याएं जैसे शीघ्रपतन, बार-बार गर्भपात, प्रदर, उपदंश, आदि के मामले में प्रभावी है।
नेत्र दृष्टि को बढ़ाने में सहायक है।
ह्रदय के लिए अच्छा है और तेज धड़कनों को रोकता है।
सिर दर्द और माइग्रेन को कम करने में प्रभावी है।
उच्च रक्तचाप एवं गुस्सा में आप इसको किसी विशेषज्ञ के सामने करके इसका फायदा ले सकते हैं।
अनिद्रा वाले रोगियों के लिए लाभदायक आसन है।
इसके नियमित अभ्यास से शरीर ऊर्जा एवं शक्ति बढ़ती है।
यह पेट के अंगों को सक्रिय करते हुए अल्सर में लाभकारी है।
अस्थमा के रोगियों के लिए लाभकारी आसन है।
यह आपके तनाव एवं चिंता को कम करने में बहुत सहायक है।
इसके नियमित अभ्यास से आप धीरे-धीरे अध्यात्म की ओर बढ़ते हैं।