New Delhi: इमरान (Former PM Imran Khan) पर हुए इस हमले के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। लोग इसे राजनीति से प्रेरित हमला भी बता रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस हमले के जरिए इमरान खान को डराने की कोशिश की गई थी।
इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि इमरान खान के लॉन्ग मार्च (long march) को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) की शाहबाज सरकार (Shahbaz Sarkar) घबराई हुई थी। पिछले 7 दिनों से चल रहा ये मार्च पाकिस्तान के इस्लामाबाद की तरफ जा रहा था।
यह मार्च नहीं करने पर इमरान खान को सरकार की धमकियां मिली थीं। पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह खान (Home Minister Rana Sanaullah Khan) ने इस मार्च के शुरू होने से पहले इमरान खान को चेतावनी दी थी कि “अगर इमरान खान इस्लामाबाद तक लंबा मार्च निकालते हैं, तो पाकिस्तान की शाहबाज सरकार उन्हें उल्टा लटका देगी।” राणा सनाउल्लाह खान (Rana Sanaullah Khan) ने वस्तुतः चेतावनी दी थी कि ‘भीड़ कभी भी भड़क सकती है, कुछ भी करें।’
आशंका जताई जा रही है कि यह हमला इमरान को डराने के लिए किया गया था और यह हमला राजनीति से प्रेरित है। इस साल मई में इमरान खान ने एक लंबा मार्च निकाला था, जिस दौरान काफी हिंसा हुई थी। इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने जमकर हिंसा की थी, जिसके बाद खान ने अपना लंबा मार्च वापस ले लिया।
हालांकि उस मार्च में इमरान खान को लोगों का ज्यादा समर्थन नहीं मिला। लेकिन इस बार इमरान खान के मार्च में बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार इस लंबे मार्च से चिढ़ गई क्योंकि इसे उनके खिलाफ विद्रोह के रूप में देखा जा रहा था।
इमरान खान ने लाहौर (Lahore) से इस्लामाबाद (Islamabad) तक इस लंबे मार्च की शुरुआत 28 अक्टूबर को की थी। इसे ‘हकीकी आजादी मार्च’ नाम दिया गया था। इमरान खान के लंबे मार्च का एक ही मकसद है और वह है शाहबाज सरकार को गिराना और मध्यावधि चुनाव कराना।
पाकिस्तान में अगले साल यानि साल 2023 में चुनाव होने हैं, लेकिन कुछ महीने पहले जिस तरह से इमरान सरकार (Imran Sarkar) गिर गई, पाकिस्तान के पूर्व पीएम हर हाल में मध्यावधि चुनाव कराना चाहते हैं।
इस लंबे मार्च का एक मकसद पाकिस्तान में इमरान की लोकप्रियता को रोकना भी है। इस मार्च में इमरान खान के समर्थकों का एक खास मकसद था- शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ बगावत करना और उन्हें बदनाम करना।
इसके लिए इमरान खान ने अपने लॉन्ग मार्च में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Former Prime Minister Nawaz Sharif) और खुफिया एजेंसी आईएसआई (intelligence agency ISI) को लेकर कई खुलासे करने की बात कही। इमरान खान ने अपनी सार्वजनिक रैलियों के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) की भी प्रशंसा की थी, जो वर्तमान पाकिस्तान सरकार के साथ अच्छी तरह से नहीं बैठती थी।
इमरान खान अपने मार्च में कई बार दोहरा चुके हैं कि उनकी सरकार गिराने में पाकिस्तानी सेना और अमेरिका का हाथ है। इमरान कई बार अमेरिका के खिलाफ बयान दे चुके हैं। वह पहले भी कह चुके हैं कि ”अमेरिका की गुलामी से मौत बेहतर है।” अमेरिका (America) के खिलाफ बयानबाजी की वजह से इमरान खान पाकिस्तानी सरकार और सेना की नजरों में आ गए।
पाकिस्तान की राजनीति में सेना और आईएसआई की घुसपैठ इतनी ज्यादा है कि वहां चुनाव, वोटिंग और लोकतंत्र एक नाटक जैसा लगता है। पाकिस्तान में आज जिस तरह से बवाल हो रहा है वह पहली बार नहीं है। दरअसल, वहां की सेना ही तय करती है कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन बनेगा।
पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army), आईएसआई और शहबाज शरीफ के खिलाफ बार-बार बोलने के बाद, इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई के खिलाफ कई लाल झंडे उठाए गए। इस बीच, गुरुवार को राजनीतिक रैली में खान के जीवन के खिलाफ प्रयास क्यों किया गया, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।