New Delhi: दो महीने से परिवार से दूर हैं, घर की सफाई से लेकर खाना बनाने तक का काम खुद निपटा रहे हैं। कोरोना से जंग के खिलाफ उठाये जा रहे हर कदम का हिस्सा हैं। यहां तक कि बेघरों के लिए इंतजाम से लेकर फ्रंटलाइनर्स की सुरक्षा का जिम्मा इनके ही कंधों पर है। हम बात कर रहे हैं बिना रुके कोविड 19 (Covid-19) की जंग में पहले दिन से 24 घंटे सुरक्षा और समन्वय की जिम्मेदारी निभा रहे कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारियों की।
दिल्ली के 11 जिलों के 33 सब डिवीज़न में मोर्चा संभाले हुए एसडीएम (Sub Divisional Magistrate) का यही हाल है। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) से निपटते ही वैश्विक महामारी कोरोना (Corona Virus) की चुनौती इनके सामने आ गई। एकअबूझ पहेली की तरह इस बीमारी के प्रभाव और निदान का कोई खास अंदाजा न होने से पूरी दुनिया इससे डरी हुई थी।
देश में जब इसने पैर पसारने शुरू किया तो सबसे प्रभावी उपाय जो सामने आये वो थे लॉकडाउन (Lockdown) और फिज़िकल डिस्टेंसिंग (Physical Distancing)। तब से केंद्र और दिल्ली सरकार के निर्देशों के आधार पर पुलिस के साथ मिलकर लॉकडाउन का पूरा पालन करवाने, रोगियों के उपचार, एहतियातन क्वारंटीन (Quarantine) के इंतजाम, बेघरों के लिए शेल्टर होम से लेकर वापसी का इंतजाम, कोरोना वॉरियर्स के रुकने और भोजन की व्यवस्था, गरीबों के लिए राशन और आइसोलेशन सेंटर से स्वस्थ होकर जा रहे व्यक्तियों के लिए इंतजाम इनका रूटीन बन चुका है। रिलीफ फ्लाइट (Relief Flight) से आने वाले विदेशों में रहने वाले भारतीयों की क्वारंटीन (Quarantine) की व्यवस्था भी इसमें शामिल है।
मेडिकल स्टाफ (Medical Staff), पुलिस, सफाई कर्मी और अन्य सरकारी स्टाफ भी यदि कोरोना से संक्रमित हो जाये तो उनके इलाज की व्यवस्था भी इन्हीं कोरोना वॉरियर्स (Corona Warriors) के जिम्मे है। यानी कोरोना के खिलाफ जंग के बैकबोन (Backbone) हैं ये।
अब परिवार से इमोशनल डिस्टेंसिंग (Imotional Distancing) झेल रहे, ये कोरोना वॉरियर्स शुरू में घर जाने में भी घबराते थे, इसलिए परिवार को ही दूर कर दिया। एसडीएम (SDM) साकेत राकेश खैरवां ने 3 साल के बेटे भव्य और 6 साल की बेटी सान्वी को दो माह पहले ही अपने पैतृक जिले राजस्थान के हनुमान गढ़ भेज दिया ताकि कोरोना के खिलाफ इस जंग में पूरा समय दे सकें और परिवार की सुरक्षा का डर न सताये।
छतरपुर में शुरू हुए दिल्ली के पहले क्वारंटीन सेंटर (Quarantine Center) का जिम्मा संभाल रहे लोगों में शामिल और दिल्ली में फॉरेस्ट लैंड को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए विख्यात दानिक्स सेवा के 2011 बैच के अधिकारी राकेश ने कहा कि कोरोना अब तक कि सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर सीखने का बड़ा अवसर भी है। अपने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और स्वस्थ होकर जाते मरीजों ने हौसला बढ़ाया है। इस प्रबंधन में इनका राजस्थान में लेक्चरर के रूप में काम करने का अनुभव भी खूब काम आया।
तेरा पंथ भवन आइसोलेशन सेंटर (Isolation center) में अभी 80 कोरोना पॉजिटिव का इलाज चल रहा है, वहीं करीब 20 मरीज स्वस्थ होकर जा चुके हैं। छतरपुर सेंटर से 850 के करीब क्वारंटीन लोग स्वस्थ घोषित होकर जा चुके हैं, इनमें करीब 25 जमाती भी हैं।
दिल्ली में अलीपुर एसडीएम (SDM) कृष्ण कुमार उन लोगों में शामिल हैं, जिन पर देश के सबसे बड़े नरेला क्वारंटीन कम आइसोलेशन सेंटर (Isolation center) का जिम्मा है। कृष्ण कुमार दिल्ली में फ्रंटलाइनर हैं। वहीं, उनकी पत्नी डॉक्टर गायत्री राजस्थान में कोरोना के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइनर हैं। अपने 5 साल के बेटे से 2 महीने से दूर एसडीएम (SDM) अलीपुर ने कई रातें क्वारंटीन सेंटर में ही बिताई हैं। अब भी कई घंटों के हेक्टिक शेड्यूल के बाद घर जाकर उन्हें खुद ही खाना बनाना होता है। रात भर फ़ोन अटेंड करने के लिए भी तैयार रहना होता है।
नरेला सेंटर में 1500 लोगों में करीब 400 जमाती भी रहे हैं। क्वारंटीन पूरा करने वालों को मिशन मोड पर रिलीज़ करने का काम किया जा रहा है।
कृष्ण कुमार कहते हैं कि दिल्ली में देशभर से आये लोग शिक्षा, रोजगार और व्यवसाय के क्षेत्र में हैं। इस मिनी भारत में इस अथक परिश्रम का पारिश्रमिक है स्वस्थ हुए मरीजों के चेहरे पर मुस्कुराहट और परिजनों का व्यवस्था पर बढ़ता भरोसा।
टीम बेबाक