हिन्दी ने एक कुशल
गृहणी की भांति
देश को बांधकर रखा है
हर वर्ग धर्म जाति
उम्र वालों की
यह सखा है
हिंदी में मिठास और अपनत्व का भाव है
सरल सहज मनोरम
उसका स्वभाव है
परिपक्व व्याकरण
हिन्दी की कसौटी है
हर भाषा उसके आगे
बौनी और छोटी है
हिंदी साहित्य का
भंडार विशाल है
हर दृष्टि से हिंदी
माला माल है
ये भारत माता के
माथे की बिंदी है
सच कहती हूं दोस्तों
हिंदी तो एकता की
कुंजी है
अंग्रेजी के वर्चस्व ने
हिंदी का मान घटाया है
हिंदी भाषी लोगों पर
गहरा संकट छाया है
अंग्रेजी रट रटाकर बच्चे
हो तो जाते हैं पास
लेकिन अवरुद्ध होता है उनका मानसिक विकास
नई शिक्षा नीति ने
हिंदी का दीया
जलाया है
हिन्दी के सम्मान में
मिलकर स्वर लगाया है
हिंदी दिवस पर ही नहीं सदैव बात करो
हिंदी के उत्थान की
क्योंकि हिंदी आत्मा है
हमारे हिंदुस्तान की!
सरिता “साहिल “