- गुस्साएं लोगों ने भी किया पथराव, किसान नेता चढूनी भी पहुंचे थे महापंचायत में शामिल होने
- खोरी गांव में 10 हजार मकान हैं, जिसमें तीन दशक से अधिक समय से लोग यहां रह रहे हैं
- गांव में करीब 20 मंदिर, 10 मस्जिद, 4 चर्च, 1 गुरुद्वारा स्थापित हैं
फरीदाबाद। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अरावली क्षेत्र में बसी खोरी बस्ती में अतिक्रमण हटाने का मामला अब धीरे-धीरे तूल पकड़ने लगा है। बुधवार को बस्ती में होने वाली महापंचायत में एकत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल का प्रयोग किया तो गुस्साएं लोगों ने पथराव भी कर दिया। इस महापंचायत में किसान आंदोलन के अगुआ एवं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार, नर्मदा आन्दोलन की अगुआ एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर के आने की सूचना थी, लेकिन केवल किसान सिंह चढूनी पहुंचे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने खोरी बस्ती में रहने वालों की पुनर्वास की मांग की। इसी के साथ वह अपने किसान नेताओं के साथ धरने पर बैठ गए। वहीं खोरी के कुछ लोगों ने कल मंगलवार को जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन कर पुर्नवास की मांग को लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा।उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-फरीदाबाद की सीमा पर अरावली वन क्षेत्र की जमीन पर बसे गांव खोरी में हुए अवैध निर्माण हटाने के आदेश देते हुए छह सप्ताह का समय दिया था।
प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किया लाठीचार्ज
जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों को तामील करवाने के लिए खोरी क्षेत्र की बिजली, पानी सप्लाई बंद करवा दी। जिसके बाद खोरी बस्ती में लोगों ने मकान खाली कर सामान को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने में लगे हैं, लेकिन अभी तक कब्जा नहीं छोड़ा है। अरावली वन क्षेत्र में खोरी बस्ती में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध निर्माण ढहाने के करवाई के विरोध में लोग महापंचायत के नाम पर एकत्रित हुए। इस महापंचायत में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के अलावा मेघा पाटकर व कन्हैया कुमार को शामिल होना था। जिला प्रशासन ने यहां धारा 144 लगा रखी है। ऐसे में पुलिस ने बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज किया। गुस्साएं लोगों ने भी पुलिस पर पथराव किया, वहीं लाठीचार्ज के दौरान एक महिला बेहोश हो गई।

लाठीचार्ज को बताया गलत
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने लाठीचार्ज की घटना को गलत बताया। चढूनी ने कहा कि पुलिस पर अगर पथराव किया गया है तो वो भी गलत है लेकिन पुलिस को भी उन पर लाठीचार्ज नहीं करना चाहिए था। पुलिस और लोगों में हुई आज की झड़प के बाद माना जा रहा है कि पुलिस प्रशासन अब यहां लोगों को ज्यादा वक्त देने के कतई मूड में नहीं है और तोडफोड़ की कार्यवाही को यहां कभी भी अंजाम दिया जा सकता है। खोरी गांव के रहने वाले स्थानीय लोगों ने कल मंगलवार को जंतर-मंतर पर पहुंचकर प्रदर्शन किया। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम ज्ञापन भी लिखा। प्रदर्शन में शामिल संजय राज ने बताया कि सूरजकुंड थाना क्षेत्र के खोरी गांव में 10 हजार मकान हैं, जिसमें तीन दशक से अधिक समय से लोग रह रहे हैं।

कोर्ट ने कार्रवाई का छह सप्ताह का दिया था समय
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सात जून 2021 से फरीदाबाद नगर निगम छह सप्ताह के भीतर खोरी गांव को खाली कराने का आदेश दिया गया है। इससे लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि सरकार को विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। गांव में करीब 20 मंदिर, 10 मस्जिद, 4 चर्च, 1 गुरुद्वारा स्थापित हैं और यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों के कामगार रहते हैं। ज्ञापन में मांग है कि कोर्ट के आदेश को निरस्त कर लोगों को रहने की अनुमति दी जाए।
तरुण चतुर्वेदी, न्यूज एडिटर