मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पॉलिथीन और प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। उसी क्रम में बोर्ड ने वर्ष 2008-2009 में प्रयोग के तौर पर अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक नई पहल की शुरुआत की थी। जिसके अंतर्गत सीमेंट उद्योगों में ईंधन के रूप में प्लास्टिक और पॉलीथिन अपशिष्ट का प्रयोग किया जाना तय किया गया। इससे बड़े पैमाने पर अनयूज़्ड वेस्ट का ईंधन के रूप में प्रयोग किया गया। वहीं, सीमेंट उद्योगों को काफी कम दाम में ईंधन की पर्याप्त उपलब्धता भी होने लगी।
Bhopal: वर्तमान परिस्थिति में प्लास्टिक और पॉलिथीन अपशिष्ट हमारे समाज और पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। पर्यावरणविद और पर्यावरण के लिए काम करने वाले निकाय इसको लेकर सतत चिंतनशील हैं। इसी समस्या को देखते हुए मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक नया नवाचार शुरू किया। जिसके अंतर्गत प्लास्टिक और पॉलिथीन अपशिष्ट को रिसाइक्लिंग करके रियूज करने का कार्य प्रारंभ किया गया। यह कार्य मध्य प्रदेश के 13 बड़े सीमेंट उद्योगों के साथ मिलकर किया गया।
सीमेंट कंपनियों को प्लास्टिक अपशिष्ट और पॉलिथीन जलाने की अनुमति बोर्ड द्वारा दी गई। शुरुआती दौर में बोर्ड ने इन उद्योगों को 13 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक और पॉलिथीन अपशिष्ट प्रतिवर्ष जलाने की अनुमति दी थी। लेकिन धीरे-धीरे जब यह प्रयोग सफल होते दिखा तो बोर्ड ने प्लास्टिक अपशिष्ट जलाने की अनुमति को बढ़ा दिया। 2019 में बोर्ड ने इन सीमेंट उद्योगों को 22 हजार मैट्रिक टन प्लास्टिक अपशिष्ट जलाने की अनुमति दे दी।
1400 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर किया जाता है गर्म
सीमेंट कारखानों में प्रयोग के तौर पर ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाले कोयले की जगह जब सीमेंट क्लिंकर में 1400 डिग्री सेंटीग्रेट के तापमान पर एकत्रित अपशिष्ट के रूप में प्लास्टिक के टुकड़े, पॉलिथीन का प्रयोग किया जाता है, तो इससे बनने वाली सीमेंट की गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है। साथ ही जहां ईंधन के रूप में लाइमस्टोन को पिघलाने के लिए 2 किलो कोयला की आवश्यकता पड़ती है। वहां पर यदि प्लास्टिक और पॉलिथीन के अपशिष्ट का प्रयोग किया जाए तो 50% तक कोयले के उपयोग में कमी आती है। इससे सीमेंट उद्योग के लिए ज्वलनशील पदार्थ काफी किफायती दामों में उपलब्ध हो जाता है। स्थानीय स्तर पर सीमेंट उद्योग को विभिन्न संस्थाओ के माध्यम से यह प्लास्टिक अपशिष्ट और पॉलिथीन एकत्रित करके विक्रय किया जाता है।
अपशिष्ट के क्लोरोफिक वैल्यू पर निर्भर करती है कास्ट
संकलित अपशिष्ट सीमेंट उद्योग में विक्रय के लिए जिन संस्थानों द्वारा दिए जाते हैं, उसकी कास्ट अपशिष्ट की क्लोरोफिक वैल्यू पर निर्भर करती है। यदि क्लोरोफिक वैल्यू 7000 प्रति कैलोरी से अधिक है तो 7 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ज्वलनशील अपशिष्ट खरीदा जाता है। वहीं, क्लोरोफिक वैल्यू कम है तो कास्ट में भी कमी आ जाती है। न्यूनतम 3 से ₹4 प्रति किलो के हिसाब से प्लास्टिक और पॉलिथीन अपशिष्ट खरीदा जाता है।
इन 13 सीमेंट उद्योग के नाम हैं शामिल
मध्य प्रदेश में जिन 13 सीमेंट प्लांटों में ईधन के रूप में ज्वलनशील अपशिष्ट का प्रयोग किया जा रहा है, उनमें से सबसे पहले एसीसी सीमेंट कटनी, प्रिज्म सीमेंट सतना, बिरला सीमेंट सतना, मैहर सीमेंट, केजेएस सीमेंट, डायमंड सीमेंट दमोह, अल्ट्राटेक सीमेंट के चार प्लांट ओं के साथ विक्रम सीमेंट का नाम शामिल है।
तरुण चतुर्वेदी, भोपाल