Jammu-Kashmir: जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग के प्रस्ताव के बाद सियासत गरमा गई है। जम्मू कश्मीर से लेकर दिल्ली तक परिसीमन आयोग के प्रस्ताव का विरोध किया जा रहा है। लेकीन बीजेपी इसके पक्ष में है। नेशनल कांफ्रेंस के नेता और सांसद जो परिसीमन आयोग की बैठक में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ और सिर्फ प्रस्ताव मांगा गया है। परिसीमन लागू नहीं किया गया लेकिन ऐसे वक्त में इसकी कोई जरूरत नहीं है।
परिसीमन आयोग ने जम्मू 6 और कश्मीर में एक विधानसभा सीट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हो जायेंगी। वहीं अगर शेड्यूल ट्राइब्स की बात करें तो 9 सीटें और शेड्यूल कास्ट के लिए 7 सीटें रिजर्व रखे जाएंगे। अगर बात पाक अधिकृत कश्मीर की की जाए तो 24 सीटें रिजर्व की गई हैं।
जम्मू कश्मीर इस तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा की मौजूदा 83 सीटों को बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव दिया गया है। आयोग ने इस पर 31 दिसंबर 2021 तक सुझाव मांगे हैं।
जम्मू कश्मीर में अमन का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है और कहा है कि जम्मू कश्मीर में परिसीमन भौगोलिक नजरिए से कनेक्टिविटी की वजह से किया गया है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार अनुसूचित जाति को आरक्षण भी दिया जाएगा। आयोग ने कहा है कि कुछ जिलों के लिए एक अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्र बनाने का भी प्रस्ताव होगा। ताकि उन भौगोलिक क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को संतुलित किया जा सके जहां संचार की कमी है और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उनकी दुर्गम परिस्थितियों के कारण सार्वजनिक सुविधाओं की कमी है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में 1995 के बाद से कभी परिसीमन नहीं हुआ है लिहाजा लगातार परिसीमन की मांग भी उठती रही है। जम्मू और कश्मीर में 1951 में 100 सीटें थी। इनमें से 25 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थी। पहला FULL-FLEDGED डीलिमिटेशन कमिशन 1981 में बनाया गया था। जिसने 14 साल बाद 1995 में अपनी पहली सिफ़ारिश भेजी थी। ये 1981 की जनगणना के आधार पर थी।