सोमवार को डीआरडीओ ने उड़ीसा के बालासोर तट से अग्नि-4 का सफल परीक्षण किया। यह 4,000 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकता है। पहले रेंज 3500 तक थी। अग्नि-4 भी एटमी हथियार ले जाने में कैपेबल है। इससे पहले 26 दिसंबर को अब्दुल कलाम आईलैंड से 5 हजार किमी रेंज वाली अग्नि-5 का टेस्ट कामयाब रहा था। बता दें कि भारत इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बनाने वाला पांचवा देश है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन हमसे पहले इस तरह की मिसाइल डेवलप कर चुके हैं।
बता दें अग्नि-4 की सफलता के बाद भारत अग्नि-6 पर भी काम कर रहा है। यह मिसाइल कई हथियार एक साथ ले जाने में सक्षम होगा और दुश्मन के डिफेंस सिस्टम यानी MIRVs (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री वीइकल्स) को मात देने के लिए तकनीकी रूप से चालाक होगा।
अग्नि-4 की क्या है खासियत?
* अग्नि-4 में सटीक निशाना साधने के लिए रिंग लेजर गायरो बेस्ड इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (RINS), माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (MNS) लगे हुए हैं।
* अग्नि-4 1000 टन तक वॉरहेड ले जाने में कैपेबल है।
* सॉलिड फ्यूल से चलने वाले अग्नि-4 में दो इंजन लगे हैं। इसकी लंबाई 20 मीटर और लॉन्च वेट 17 टन है।
* इसे रोड मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है।
क्यों खास है अग्नि-5?
* अग्नि-5 सतह से सतह पर मार करने वाली मीडियम से इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज की मिसाइल है। 27 दिसंबर, 2016 को यह इस मिसाइल का चौथा टेस्ट था। दूसरे और तीसरे टेस्ट से यह बात साबित हुई थी कि यह मिसाइल 20 मिनट में टारगेट को हिट कर सकती है।
* 19 अप्रैल 2012 को अग्नि का पहला, 15 सितंबर 2013 को दूसरा और 31 जनवरी 2015 को तीसरा टेस्ट हुआ था।
* साइंटिस्ट्स की मानें तो अग्नि-5 का नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम उसे खास बनाता है।
मध्यम-दूरी तक वार करने की क्षमता वाले पृथ्वी और धनुष मिसाइलों के अलावा SFC ने भारतीय बेड़े में अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइलों को भी शामिल किया। ये मिसाइल जहां मुख्य तौर पर पाकिस्तान की ओर केंद्रित हैं, वहीं अग्नि-4 और अग्नि-5 का फोकस चीन पर है। हालांकि चीन मिसाइल और परमाणु क्षमता में अभी भी भारत से काफी आगे है।
टीम बेबाक