खास बातें
- भारत के 105 जिलों और दुनिया के 25 देशों में होंगे यात्रा के कार्यक्रम।
- अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के दिन समाप्त होगी यह यात्रा।
- जलवायु परिवर्तन, अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था, पलायन, युवाओं में अहिंसा आधारित नेतृत्व कौशल विकसित करने समेत अन्य विषय यात्रा में हैं शामिल।
- 12 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में 5 हजार यात्री होंगे शामिल
Bhopal: एकता परिषद द्वारा निकाली जा रही 12 दिवसीय “न्याय और शांति पदयात्रा – 2021” का आगाज हो गया है। यह पदयात्रा देश के 105 जिलों के साथ-साथ विश्व के 25 देशों में आयोजित की जा रही है। वहीं मध्यप्रदेश में इस यात्रा का आयोजन 27 जिलों में चल रहा है। यात्रा के दौरान लगभग पांच हजार पदयात्री पैदल चलेंगे और लगभग दस हजार किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। 12 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में हर दिन अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में जलवायु परिवर्तन, अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था, पलायन, युवाओं में अहिंसा आधारित नेतृत्व कौशल विकसित करने, आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
स्थानीय मुद्दों पर ग्रामीणों से होगी चर्चा
इसके साथ ही यात्रा के दौरान आने वाले गांवों में शांति कैसे स्थापित हो, गांव को कैसे सुंदर बनाया जाए, शुद्ध और पीने युक्त पानी तक सबकी पहुंच कैसे सुनिश्चित हो ऐसे कई स्थानीय मुद्दों पर भी बातचीत की जाएगी। स्थानीय समस्याओं के अहिंसात्मक समाधान की भी तलाश की जाएगी।
पटना में 1 दिन के उपवास के साथ शुरू की यात्रा
इस अनूठी वैश्विक पदयात्रा का शुभारंभ गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. ने बिहार की राजधानी पटना से एक दिवसीय उपवास के साथ किया है। पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे राजगोपाल पी.व्ही. ने इस मौके पर कहा कि पदयात्रा की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के मौके पर की जा रही है। इसका समापन 2 अक्टूबर, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के मौके पर किया जाएगा। यह पदयात्रा अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम है, इस यात्रा में सैकड़ों युवा शामिल होंगे जो इस दौरान लोगों से न्याय और शांति आधारित समाज के बारे में बात करेंगे। भारत में इस प्रकार की यह बड़ी पहल तो है ही, साथ ही साथ वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण पहलों में से एक है।
समाज को न्याय, शांति और अहिंसा के लिए करना है तैयार
गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. पदयात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहते हैं कि 21 सितंबर अंतरराष्ट्रीय शांति से 2 अक्तूबर, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस तक का जो महत्वपूर्ण समय हमारे पास है उसका हम किस प्रकार से सदुपयोग करें जिससे हम विश्व में अहिंसा, न्याय और शांति को फैला सकें। कोई भी दिवस मनाना महत्वपूर्ण नहीं होता है, लेकिन उस दिवस के इर्द-गिर्द हम क्या और किस प्रकार का कार्यक्रम करते हैं यह महत्वपूर्ण होता है। हमारा मकसद है, यात्रा के दौरान सैकड़ों युवा इन दिवसों में अपने घरों में होने के बजाय हमारे साथ सड़कों पर यात्रा में शामिल होकर विभिन्न मुद्दों से रुबरू होकर इन पर बातचीत करें। पदयात्रा के दौरान न्याय, शांति और अहिंसा की बात जोरदार ढंग से होगी। हमारी यह कोशिश रहेगी ऐसी बातें केवल शहर तक सीमित ना होकर गांव और छोटे कस्बों तक पहुंचे। पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य समाज को न्याय, शांति और अहिंसा के लिए तैयार करना है। इसके साथ ही समाज में न्याय और शांति आधारित व्यवस्था के बारे में भी समझ को विकसित करना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ से अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था की बात करेंगे
पदयात्रा के दो महत्वपूर्ण लक्ष्यों के बारे में बताते हुए राजगोपाल कहते हैं कि पदयात्रा का एक लक्ष्य यह भी है कि हमें सरकार के समक्ष अहिंसा एवं शांति मंत्रालय की स्थापना हो इस मुद्दे को भी उठाना है। हम यात्रा के दरम्यान अहिंसा एवं शांति मंत्रालय की स्थापना को लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चालएंगे। वहीं हमारा दूसरा लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ को अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था को लेकर लिखने का है। इसमें हम यह कहने जा रहें हैं कि वर्तमान में जो अर्थव्यवस्था है वह बेहद ही हिंसात्मक है, कुछ लोगों के पास बहुत अधिक पैसा है तो वहीं कुछ लोगों के पास कुछ भी नहीं है। इसलिए हम संयुक्त राष्ट्र संघ से अहिंसात्मक अर्थव्यवस्था की बात करेंगे। इसको लेकर भी हम हस्ताक्षर अभियान चालएंगे। कुल मिलाकर इस यात्रा का उद्देश्य भारत सरकार के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य देशों की सरकारों को भी न्याय, शांति अहिंसा पर आधारित व्यवस्था को लेकर प्रभावित करना है।
Tarun Chaturvedi, Delhi