New Delhi: पहले मुस्कुराइए। फिर हंसिए, किस पर, देश के सबसे बड़े चौकीदार पर। क्योंकि पूरा सरकारी तंत्र और विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक दल अमृत महोत्सव मना रहा। कब, तब- जब देश भुखमरी के मामले में दुनिया के 116 देशों की सूची में 101 वें स्थान पर है। यकीन न हो तो वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट 2021 को देख सकतें हैं। अभी हाल ही में जारी की गई है। वहीं 2020 में भी भारत 107 देशों की सूची में 94 वें स्थान पर था। भुखमरी के मामले में भारत पिछले वर्ष भी पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका से पीछे था और आज भी है। तो क्या इन हालतों में अमृत महोत्सव मनाना सही है? देश में अमृत महोत्सव तब मनाना अच्छा होगा जब देश में हर भूखे पेट में रोटी और हर बेरोजगार के हाथ में रोजगार होगा। घाटी से लेकर केरल के तट तक अमन- चैन होगा।
सवाल वे जो करना जरूरी हैं
ऐसे में क्या देश 100 पार हो चुके डीजल, पेट्रोल के दामों का अमृत महोत्सव मनाए। हर दिन बढ़ रहे गैस सिलेंडर के दामों का अमृत महोत्सव मनाए । दिन प्रतिदिन बढ़ते बेरोजगारी के आंकड़ों का अमृत महोत्सव मनाए। कश्मीर में हर दिन हिंदू-सिख भाइयों की हो रही मौत का अमृत महोत्सव मनाए या सीमा पर शहीद हो रहे जवानों का अमृत महोत्सव मनाए। वाह रे सरकार। कुछ भी कभी भी चाप दो। कम से कम एक बार तो देश का मिजाज समझते।
‘तरुण चतुर्वेदी बेबाक’