Uttar Pradesh: लॉकडाउन (Lockdown) में देश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ अच्छी तो कुछ बुरी तस्वीर नजर आ रही है। यूपी के गाजीपुर (Gajipur) से किसानों की बेबसी की ऐसी तस्वीर सामने आ रही है, जो किसी के भी सोचने पर मजबूर कर दे।
एक तरफ भावरकोल के कुछ किसान (Farmers) अपनी मिर्च (Chilli) और लौकी लंदन भेज रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते कुछ किसान (Farmers) सब्जी की बिक्री न होने से मेहनत और खून पसीने से उगाए गई सब्जियों के लहलहाते खेत खुद बर्बाद कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं भावरकोल के रानीपुर की। जहां किसान हज़ारों की लागत से उगाई गई मूली (Reddish) की फसल को ट्रैक्टर के पहियों के नीचे रौंदने को मजबूर हैं। बेबसी और मजबूरी की ऐसी तस्वीर शायद ही आपने पहले देखी होगी।
दरअसल, लॉकडाउन (Lockdown) के डाउन के चलते गाजीपुर- बक्सर, आजमगढ़, मऊ और बलिया समेत आसपास के सभी जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। नावों का परिचालन भी बंद कर दिया गया है। जिससे किसानों (Farmers) की मूली की खेप आसपास के जिलों में भेजना मुश्किल हो रहा है। एक किसान तौफीक अहमद उर्फ गुड्डू ने बताया कि कई बार बिक्री का प्रयास भी किया लेकिन असफल रहा। लॉकडाउन में कोई मूली (Reddish) एक रुपए किलो तक लेने के लिए कोई तैयार नहीं।
दरअसल, गाजीपुर जिले से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर भांवरकोल ब्लॉक के पातालगंगा सब्जी मंडी में किसान जहां थोक भाव से सब्जियों की बिक्री कर मुनाफा कमाते थे। लेकिन कोरोना के चलते मंडी में खरीदार नदारद नजर आए। वहीं, पास के गांव रानीपुर के किसान तौफीक अहमद उर्फ गुड्डू मायूसी के साथ ट्रैक्टर और रोटावेटर से अपनी मूली की खड़ी फसल बर्बाद कर रहे थे।
जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया, क्या करें.. बिक नहीं रहा। बक्सर, बिहार सब बंद है। फसल खराब हो रही है। कितना इंतज़ार करेंगे, बिकेगा की नहीं बिकेगा। पिछले 20 दिन से इंतजार कर रहा हूं की फसल बिकेगी, कुछ पैसे मिलेंगे, लेकिन बिक्री नहीं हो रही। अगली फसल भी तो बोना है। इसीलिए वह मेहनत से उगाई गई फसल को खुद रौंदवाने को मजबूर हैं। क्योंकि अगली फसल भी तो बोनी है।
उन्होंने बताया कि दो अलग-अलग खेतों में उन्होंने लगभग 3 बीघा मूली उगाई थी। अंदाजा था कि 2 से 3 लाख लाख का मुनाफा होगा। लेकिन लॉकडाउन के चलते ऐसा ना हो सका। उन्होंने बताया कि मूली का एक खेत वह पहले ही बर्बाद करा चुके हैं। दूसरा आज करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मूली की खेती में 80 से 85 हज़ार की लागत लगी थी। लेकिन लॉक डाउन के चलते लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल है।
पहले नाव से मूली बक्सर भेजी जाती थी। अच्छा मुनाफा हो रहा था। लेकिन लॉकडाउन में नावों का परिचालन भी बंद है। इसीलिए वह खून पसीने की कमाई मिट्टी में मिलाने को मजबूर हैं। इस बात से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि लॉकडाउन में सब्जी उगाने वाले किसानों की बेबसी का क्या आलम क्या है और उन पर क्या बीत रही है।
टीम बेबाक