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Thursday, September 21, 2023

कर्मचारी यूनियन ने प्रदेश सरकार पर लगाया 2500 करोड़ रुपए का डीए हड़पने का आरोप

विरोध में आगामी 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस आयोजित किया जाएगा। देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई को देश के कर्मचारियों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए जिला एवं खंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे।

Gurugram: ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाइज फेडरेशन व सकसं हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने प्रदेश सरकार पर कोरोना के बहाने कर्मचारियों का 2500 करोड़ का डीए हड़पने का आरोप लगाया। लांबा ने घोषणा की कि जनवरी, 2020 से बंद किए डीए, एलटीसी व पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आगामी 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस आयोजित किया जाएगा। जिसमें देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि 15 जुलाई को देश के कर्मचारियों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए जिला एवं खंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे। लांबा यहां महरौली रोड़ स्थित दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के सबोर्डिनेट रेस्ट हाउस में जिला कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान उमेश खटाना ने की। जिला सचिव राम निवास ठाकरान द्वारा संचालित बैठक में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के उप प्रधान सुरेश नौहरा, एएचपीसी वर्कर यूनियन के राज्य कमेटी के नेता बिजेंद्र फोगाट, सर्कल सचिव सुशील शर्मा, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के उपाध्यक्ष सतनारायण यादव आदि विशेष तौर पर मौजूद थे।

18 माह के एरियर की भुगतान की मांग

लांबा ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी के बहाने कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते को जनवरी 2020 से रोका हुआ है। सरकार ने इसमें सैनिकों, अर्धसैनिक बलों, पेंशनरों तक को नहीं बख्शा है। डीए रोक के कारण 50 हजार बेसिक पे वाले 30 जून को रिटायर हो रहे कर्मचारी को वेतन, ग्रेज्यूटी व लीव एनकेशमेंट में 2 लाख 22 हजार का नुक्सान उठाना पड़ेगा। वहीं डीए न मिलने से प्रति कर्मचारी को औसतन एक से डेढ़ लाख रुपए का नुक्सान 18 महीने में हो चुका है।

डीए बंद करके केन्द्र व राज्य सरकार कर्मचारियों के लाखों करोड़ रुपए हड़प चुकी है। हरियाणा सरकार भी करीब 2500 करोड़ रुपए कर्मचारियों का हजम कर चुकी है। उन्होंने केन्द्र सरकार से जुलाई 2021 से डीए बहाल करने और जनवरी 2020 से जून,2021 (18 महीने ) के एरियस भुगतान करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य ढांचे में काम करने वाले मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ सहित केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमण के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं।

आगामी सप्ताह में सभी चारों ब्लाकों में मीटिंग की जाए

जिसके कारण हजारों के संख्या में कर्मचारी मौत के मुंह में जा चुके हैं। सरकार इन्ही कर्मचारियों का डीए रोककर आर्थिक हमले कर रही है। दूसरी तरफ बड़े पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए के राहत पैकेज दे रही है। आपदा को अवसर में बदलकर जनता के खून-पसीने व टेक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेच कर लिया जा रहा है। जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

बैठक में नगर निगम से छंटनी किए कर्मियों को वापस ड्यूटी पर न लेने की निंदा की गई और उन्हें तुरंत वापस ड्यूटी पर लेने की मांग की। बैठक में फैंसला लिया गया कि आगामी सप्ताह में सभी चारों ब्लाकों में मीटिंग की जाए। इसके बाद सभी विभागों में गेट मीटिंग हो।

खाली पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरे सरकार

सुभाष लांबा ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों में कोरोना आपदा को अवसर में बदलकर सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों व पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने, कोविड 19 संक्रमण से मौत के मुंह में जा चुके कर्मचारियों को 50 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को पक्की नौकरी देने, जन सेवाओं के विभागों में खाली पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरने, सभी को फ्री में शीघ्र वैक्सीन लगाने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। बैठक में मान सिंह शर्मा, अरविंद शर्मा, जवाहर सिंह, बसंत कुमार, प्रेम पाल, ललित कुमार, जगदीप दहिया,सच्चीदानंद व अजय कुमार आदि उपस्थित थे।

तरुण चतुर्वेदी, न्यूज एडिटर

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