नई दिल्ली
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने ताजा रिपोर्ट जारी किया है जिसके आंकड़ों में दलितों के खिलाफ हुए अत्याचार वाले राज्यों के बारे में बताया गया है। अगर इस रिपोर्ट की मानें तो दलितों पर भाजपा शासित राज्यों में सबसे ज्यादा अत्याचार हुए हैं। इस आंकड़ों में जो टॉप 5 अपराध वाले राज्य शामिल हैं उनमें या तो भाजपा की सरकार है या फिर उनके सहयोगियों की।
अब अगर अपराध दर के हिसाब से देखें तो इस लिस्ट में पहला नबंर मध्यप्रदेश का है। दूसरा राजस्थान, तीसरे पर गोवा, चौथे पर बिहार जबकि गुजरात लिस्ट में पांचवें स्थान पर है। अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पिछले लगभग एक दशक से बीजेपी की सरकार चल रही है। वहीं अगर आंकड़ों की बात करे तो प्रति लाख के आंकड़ों के अनुसार 2014 मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के 3294 मामले दर्ज हुए, जो 2015 में 3546 और 2016 में 4922 तक पहुंचे। पिछले साल में राज्य के आंकड़ों में 12.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं, राजस्थान इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है और यहां भी वसुंधरा राजे की नेतृ्त्व वाली भाजपा की सरकार है। राजस्थान में क्राइम रेट में 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यहां 2014 में 6735 अपराध दर्ज हुए हैं, जो 2015 में 5911 और 2016 में 5136 तक पहुंचे। अपराध के मामले में तीसरे नंबर पर गोवा आता है। हालांकि, गोवा में 2014 में इस प्रकार के मात्र 13 और 2015 में 11 मामले ही दर्ज हुए थे।
इनके बाद चौथा नंबर है बिहार का, जहां भाजपा के समर्थन से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है। बिहार में पिछले साल इस प्रकार के 5701 मामले दर्ज किए गए हैं। 2016 में हुए पूरे देश में कुल अपराधों में से 14 फीसदी अपराध बिहार में ही हुए हैं।
गुजरात इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर है। गुजरात में 2014 के मुकाबले अपराध बढ़ा है। 2014 में जहां गुजरात में 1094 आपराधिक केस दर्ज किए गए वहीं 2016 में ये आंकड़ा 1322 तक पहुंचा। हालांकि, 2015 में ये नंबर 1010 तक ही थे। अब सवाल उठता है कि चुनाव से ठीक पहले आए ये आंकड़ें वोटिंग पर कितना असर डालेंगे, और विपक्ष इन्हें कितना भुना पाएगा। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में दलितों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। जिनमें 2015 में हुई ऊना की घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं।
दलितों पर हुए अत्याचार के मामलों पर राष्ट्रीय आंकड़ों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट की अगर बात करें तो इस लिस्ट में यूपी और बिहार सबसे अव्वल हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधिक मामलों में 2015 के मुकाबले 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2016 में कुल 40,801 मामले दर्ज हुए हैं जबकि 2015 में ये आंकड़ा 38670 तक ही था। उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के 10,426 आंकड़ें दर्ज हुए हैं। जो कि पूरे मामलों के 25.6 फीसदी हैं। वहीं, इस मामले में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का नंबर आता है जहां लगभग 14 फीसदी अपराध हुए हैं।
2016 में मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ 43.4 फीसदी संज्ञेय अपराध हुए हैं, जबकि राजस्थान में ये आंकड़ा 42 फीसदी है। गोवा में 36.7 फीसदी, 34.4 फीसदी बिहार में और 32.5 फीसदी गुजरात में। पूरे देश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 20.6 फीसदी था।
वहीं, इन आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में देश के 19 प्रमुख शहरों के मुकाबले दिल्ली में सबसे अधिक अपराध के साथ बलात्कार के भी सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए। दिल्ली हत्या, अपहरण, किशोरों की संलिप्तता वाले संघर्ष एवं आर्थिक अपराधों के मामले में भी पहले स्थान पर रहा। बीस लाख से अधिक की आबादी वाले 19 प्रमुख शहरों में पिछले साल महिलाओं के खिलाफ कुल 41,761 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 33 प्रतिशत यानी 13,803 मामले अकेले दिल्ली में सामने आए। इसके बाद मुंबई का नंबर आता है, जहां महिलाओं के खिलाफ करीब 12.3 फीसदी (5,128) मामले दर्ज किए गए।
टीम बेबाक