मध्य प्रदेश, भोपाल (कृष्णा पांडेय): मध्यप्रदेश में 11 दिसंबर को हुए चुनाव में एक बात सबसे अहम रही और वो है नोटा। इस बार भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने की खास वजह शायद नोटा ही बनी है। पांच राज्यों में भारी संख्या में मतदाताओं ने किसी दल को चुनने की बजाय नोटा का बटन दबाया। पूरे मध्यप्रदेश में आज आए परिणाम में करीब साढ़े चार से पांच लाख के बीच मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसे मतदाताओं को किसी गुस्से का कारण भी माना जा सकता है।
मंगलवार को आए पांच राज्यों के चुनाव में दो राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण NOTA को माना जा रहा है। मध्यप्रदेश और राजस्थान के परिणामों पर गौर करें तो तो भाजपा और कांग्रेस के वोटों में जितना अंतर नहीं हैं, उससे अधिक वोट तो NOTA में डाले गए हैं।
12 लाख मतदाताओं ने डाला नोटा
चुनाव आयोग के मुताबिक शाम 6 बजे तक मध्यप्रदेश में 1.5 प्रतिशत वोट नोटा में डाले गए। राजस्थान में 1.3 प्रतिशत, तेलंगाना में 1.1 प्रतिशत और मिजोरम में 0.5 फीसदी वोट नोटा में चले गए। वोटों की गिनती के हिसाब से नजर दौड़ाएं तो मध्यप्रदेश में शाम 6 बजे तक 4.15 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा में अपना वोट डाल दिया।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 1.78 लाख मतदाताओं ने नोटा में वोट डाला। राजस्थान में 4.38 लाख से ज्यादा, तेलंगाना में 2.03 लाख से ज्यादा और मिजोरम में 2917 वोट नोटा में पड़े।
शाम 6 बजे तक यह है NOTA की स्थिति
प्रदेश वोट फीसदी वोट
राजस्थान 1.3 438441
मध्य प्रदेश 1.5 415342
छत्तीसगढ़ 2.1 178962
तेलंगाना 1.1 203112
मिजोरम 0.4 2917
मतदाताओं की नाराजगी तो नहीं
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी से नाराज वोटरों ने नोटा के पक्ष में वोट डाला है। इससे स्पष्ट है कि मतदाताओं का रुख भाजपा और कांग्रेस में से किसी को भी जिताने का नहीं था।
टीम बेबाक