Yamunanagar : पिछले कई दिनों से भूख और प्यास से तड़फ रहे युवक को लोग छूने से भी डर रहे थे। कोरोना की दहशत ऐसी कि किसी ने भी पीड़ित को हाथ तक नहीं लगाया। कुछ राहगीरों की मदद से पुलिस तो पहुंची लेकिन स्वास्थ्य विभाग से मदद नही मिली। आखिर पुलिस ने अपनी ही गाड़ी में डाल कर उसे अस्पताल ले गए।
यमुनानगर के बस स्टैंड के बाहर पिछले कई दिनों से भूख और प्यास से तड़फ रहे युवक का नाम पता मालूम नहीं है। भूख प्यास के चलते इसकी आवाज भी नहीं निकल रही। हालांकि यह यहां पर कैसे आया किसी को नहीं मालूम लेकिन आज जब लोगों ने इसे देखा तो किसी ने भी इसे हाथ लगाने की जहमत भी नहीं उठाई क्योंकि लोगों को लग रहा था कि कही यह कोरोना के चलते न तड़प रहा हो।
राहगीर आते गए और इसे देख कर आगे बढ़ते गए। भूख प्यास से तड़पते हुए युवक को देख कुछ लोगों ने मेयर से बात कर पुलिस को तो बुला लिया लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। हालांकि पुलिस की पीसीआर आयी और उसने भी स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया पर कोई एम्बूलेंस ऐसी नहीं थी जिसमें इस युवक को डाल कर ले जाया जाता।
आखिरकार पुलिस ने अपनी ही एम्बूलेंस को मौके पर बुला लिया। बता दें कि यह एम्बूलेंस ऐसे लोगों के लिए नहीं होती। जहां कोई अनहोनी हुई होती है, वहां इस एम्बूलेंस को लाकर उसमें शव को डाल कर ले जाया जाता है लेकिन यहां पर तो यही बडी इंसानियत थी कि इस तड़पते हुए युवक को कोई तो लेने आया।
पुलिस की एम्बूलेंस तो आ गई लेकिन यहां पर भी जो लोग मौजूद थे, वह भी एक बार तो सोच में पड़ गए कि इस युवक को कैसे हाथ लगाएं, कहीं इसे कोरोना तो नहीं। लेकिन कैमरे को चलते इन लोगों ने भी देर नहीं लगाई और तुरंत युवक को उठाकर स्टेचर पर डाल कर एम्बूलेंस में चढ़ा दिया गया। हालांकि इस युवक को ले जाने के बाद पुलिस वहां पर मौजूद लोगों के हाथ भी सेनीटाइज करवाने लग गई।
कहीं न कहीं इस कोरोना की ऐसी दहशत है कि अब लोग किसी आम आदमी को तो दूर किसी मुसीबत में पड़े व्यक्ति को भी हाथ लगाने से डर रही है। हालांकि लोगों की माने तो पिछले तीन दिनों से यहां इसे तड़पता हुआ देखा जा रहा था। पर इसको उठाने के लिए कोई हाथ आगे नहीं आया लेकिन आज भी यहां इंसानियत काम आ तो गई लेकिन अब देखना होगा कि अस्पताल में इस पीड़ित को कैसा इलाज मिलता है।
टीम बेबाक