अपने खास स्वाद, सोने जैसी चमक और एक समान दाने के कारण पूरे देश में पहचान बनाने वाले शरबती गेहूं की इस बार सीहोर में बंपर पैदावार हुई है। पूरे मध्य प्रदेश का 50-60% शरबती गेहूं सीहोर में ही पैदा होता है। इसका आटा खाने में मीठा होता है, इसलिए इसको शरबती नाम दिया गया है। सीहोर के अलावा अन्य जिलों में भी शरबती गेहूं बोया जाता है।
मुख्य बातें
- शरबती गेहूं का 50% उत्पादन सीहोर में होता है।
- इसका न्यूनतम भाव ही 2800 रुपए होता है।
- पूरे भारत में रहती है शरबती की मांग, हर साल बाहर से आते हैं खरीददार
Bhopal: वैसे तो भारत जैसे विशाल देश में अधिकतर राज्यों में गेहूं की खेती की जाती है। अच्छा उत्पादन भी होता है। पर मप्र के सीहोर जिले में शरबती गेहूं की पूरे भारत में अलग ही बात है। क्योंकि ये शरबती गेहूं देखने में सोने जैसा चमकीला है। इसके सभी दाने एक समान से होते हैं। खाने में भी शरबती मीठा है। तभी तो देश भर में शरबती अपनी शान बिखेर रहा है। हर राज्य में इसके चर्चे हैं। गर्मी के दिनों में दूसरे राज्यों से व्यपारियों का आगमन सिर्फ और सिर्फ शरबती को खरीदने के लिए सीहोर होता है और दूसरी किस्मों के मुकाबले किसानों को शरबती के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं।
शरबती के बाजार में मिलते हैं अच्छे दाम
शरबती गेहूं की खास बात यह है कि इसकी चमक के साथ इसके दाने एक समान होते हैं। गेहूं की सभी किस्मों में यह सबसे महंगा बिकता है। लोकमन, मालवा शक्ति और अन्य किस्म के गेहूं जहां 2000 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल बिकते हैं, वहीं शरबती का न्यूनतम भाव ही 2800 रुपए होता है। यह आमतौर पर 3500 से 4500 रुपए तक बिकता है। बीते वर्ष में सीहोर जिले की आष्टा कृषि उपज मंडी में शरबती गेहूं 4701 रुपए क्विंटल बिका था।

इसलिए खास है शरबती?
हमारे देश में गेहूं की प्रीमियम किस्म शरबती ही है। इसे ‘द गोल्डन ग्रेन’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसका रंग सुनहरा होता है। यह हथेली पर भारी लगता है, पर इसका स्वाद मीठा होता है। इसलिए इसका नाम शरबती है। गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है। सीहोर में इसकी सबसे ज्यादा पैदावार होती है। क्योंकि सीहोर क्षेत्र में काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है, जो शरबती गेहूं के लिए सबसे उपयुक्त होती है।

इन जिलों में भी बोया जाता है शरबती
मप्र प्रदेश में शरबती गेहूं सीहोर के साथ ही नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा क्षेत्र के जिलों में भी अच्छी तादात में बोया जाता है। प्रदेश सरकार शरबती गेहूं को ब्रांडनेम यानी भौगोलिक संकेतक (जीआई) दिलाने का प्रयास कर रही है। ब्रांडनेम मिलते ही प्रदेश के शरबती गेहूं के नाम से कोई कंपनी या संस्था अपना नाम नहीं दे पाएगी।
शरबती की बेस्ट किस्म है सी- 306
शरबती गेहूं में सी-306 किस्म बेस्ट मानी जाती है। इसकी क्रॉस वैरायटी भी बाजार में उपलब्ध है। इसका एक-एक दाना एक समान और सोने जैसा चमकता है। अब कठिया गेहूं की नई वैरायटी ‘दूरम’ को लेकर भी यहां किसान काफी खुश हैं। इस गेहूं का उत्पादन 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है।
सीहोर का शरबती गेहूं पांच से अधिक राज्यों में जाता है
तमिलनाडु, गुजरात, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से कई कंपनियां सीजन के समय सीहोर में आकर खुद शरबती गेहूं की खरीदी करती हैं। इस साल लॉकडाउन के कारण यह व्यापारियों के जरिए शरबती की खरीदी कर रही हैं। आईटीसी ने सोया चौपाल सेंटर पर शरबती गेहूं खरीदने के लिए काउंटर बनाया है। कई किसान मंडी से अधिक कीमत पर यहां अपना गेहूं बेच रहे हैं।
तरुण चतुर्वेदी, भोपाल