छतरपुर जिले के नवगांव से संबंध रखने वाले गांधीवादी सोच के धनी सामाजिक कार्यकर्ता संतोष गंगेले को बुंदेलखंड का गांधी कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि 65 वर्ष के गंगेले ने अपने जिंदगी के 41 बरस समाज सेवा में खपा दिए हैं। गंगेले सामाजिक कार्यों में तब सक्रिय हए जब 1980 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महाविद्यालय में प्रवेश किए। वहां राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़कर उनको सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मिली। इनका कार्य क्षेत्र मप्र और उत्तर प्रदेश में स्थित बुंदेलखंड है। जहां चार दशक से ज्यादा समय से गंगेले सामाजिक बदलाव और विकास के लिए काम कर रहे हैं।
मुख्य बातें
- पूर्व पीएम स्व. इंद्रा गांधी द्वारा चले गए कौमि एकता पखवाड़े के साथ जुड़कर एनएसएस के माध्यम से सक्रिय हुए सामाजिक कार्यों में
- आदर्श शिक्षा रत्न, समाज गौरव जैसे कई राष्ट्रीय खिताबों से नवाजे गए हैं
- बुंदेलखंड भ्रमण के तहत कर रहे हैं सघन जनसम्पर्क, ला रहे हैं बदलाव
Bhopal: एक साधारण सी कद काठी, गेहुंआ बदन, सिर पर गोल टोपी, पोसाक में बिल्कुल सिंपल धोती और कुर्ता में दिखने वाले ये शख्स हैं संतोष गंगेले। जो कभी गांव-गांव जाकर सम्मान की आस भूल चुके वृद्धों का सम्मान करने लगते हैं, तो कभी किसी शैक्षिक संस्थान में बेटियों का सम्मान करने का काम करते हैं। गंगेले पिछले 17 वर्षों से बेटियों की पूजा और उनका सम्मान कर रहे हैं। ताकि बुंदेलखंड की बेटियां पढ़ लिखकर आगे बढ़े। गांव में जब गंगेले इन निर्धन और पिछड़ी बस्तियों के वृद्धों के बीच आते हैं तो अधिकांश वृद्ध, जो खुद अपने परिवारिक लोगों की वजह से उपेक्षित हैं, उनकी कईयों की आंखें करुणा से भर जाती है। तो वहीं कुछ चेहरों में मुस्कान सी छा जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा चलाए गए कौमि एकता पखवाड़े से एनएसएस के माध्यम से समाज कार्य में गंगेले ऐसे जुड़े की वे हमेशा के लिए समाज के ही हो गए और उनकी जन्मभूमि ही कर्म भूमि बन गई। जिसका नाम है बुंदेलखंड।

ये हैं वो विषय जिन पर करते हैं काम
सामाजिक कार्यकर्ता संतोष गंगेले 31 Oct.2007 से सतत बुंदेलखंड भ्रमण का अभियान प्रारंभ किए हुए हैं। जिसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता और समाज, वाहन दुर्घटना, दहेज व कलंक और मतदाता जागरूकता जैसे विषय पर काम कर रहे हैं। यह कार्य गंगेले बुंदेलखंड के अलग-अलग जिलों में जाकर जनसंवाद और भ्रमण के द्वारा करते हैं। इसके लिए गंगेले किसी से भी व्यक्ति से आर्थिक मदद नहीं मांगते हैं। वे खुद अपनी आय की 20 प्रतिशत राशि का प्रयोग अपने समाज कार्य के लिए करते हैं।

गंगेले कहते हैं कि मैं बहुत ही गरीब परिवार से हूं। बचपन में ही हमारे पिताजी साधू बन गए थे। हम सब परिवार में 4-5 भाई बहन थे। सबके पालन पोषण की जिम्मेदारी मां के ऊपर थी। हमें कोई किताब देता था, कोई कपड़े तब हम स्कूल तक पहुंच पाते थे। हमारे बुरे दिनों में हमारा समाज और शिक्षकों ने बहुत योगदान दिया है। इसलिए मुझे समाज के लिए कुछ करने में अच्छा लगता है।

जब तक जान है तब तक ये काम करता रहूंगा
गंगेले बेबाक से कहते हैं कि जब तक मेरी जान है तब तक मैं सामाजिक विषयों पर सतत काम करता रहूंगा। अपने तीन पसंदीदा काम के बारे में गंगेले कहते हैं कि मुझे प्रवचन सुनना व आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना, भ्रमण करना और महापुरुषों की जीवनी पढ़ना अच्छा लगता है। क्योंकि इन्हीं महापुरुषों को पढ़ने के बाद मैं बच्चों को प्रेरित कर पाता हूं। सामाजिक कार्यों के लिए संतोष गंगेले को कई राष्ट्रीय पुरुषों द्वारा समान्नित किया जा चुका है। जिसमें आदर्श शिक्षा रत्न पुरस्कार, समाज गौरव, बुंदेलखंड गौरव पुरस्कार समेत अन्य नाम शामिल हैं। वहीं, आपके कार्यों को देखते हुए गंगेले का स्थानीय स्तर पर नगर पालिका नवगांव द्वारा नागरिक अभिनंदन भी किया गया है।

ये हैं कार्य क्षेत्र
संतोष गंगेले के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत छतरपुर, सागर, दतिया, दमोह, पन्ना, सतना, टीकमगढ़, निवाडी, वहीं यूपी में झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, बाँदा के नाम शामिल हैं।
तरुण चतुर्वेदी, भोपाल