New Delhi: सीएए (CAA) कानून लागू होने के बाद भारत में बड़ी तादात में बसे अफगानी मुस्लिम और रोहिंग्या, ईसाई धर्म अपनाकर भारतीय नागरिकता लेने की कोशिश कर सकते हैं, जिसे लेकर खुफिया एजेंसियों ने सरकार को सतर्क रहने की हिदायत दी है। दरअसल, देश में बने रहने के लिए धर्म बदलने वाले लोग सीएए कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग कर सकते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए भी सही नहीं है।
यह रिपोर्ट खुफिया एजेंसियों ने सरकार को दी है, जिसके बिनाह पर सभी अन्य एजेंसियों को अगाह किया गया है। सीएए (CAA) बीते जनवरी माह से लागू हो चुका है, जिसमें प्रावधान के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम आसान बनाए गए हैं। इसका ही फायदा उठाने के लिए रोहिंग्या और अफगान मुस्लिम देश के अलग-अलग हिस्सों में ईसाई धर्म अपना रहे हैं।
इससे दिल्ली को भी अगाह किया गया है। इस बारे में एक अफगानी ईसाई चर्च के पादरी आबिद मैक्सवेल ने भी माना की यह आशंका सही है कि सीएए लागू होने के बाद बहुत सारे मुस्लिम ईसाई धर्म अपनाने की कोशिश सकते हैं। हालांकि दिल्ली के चर्च में लगभग 400 अफगान इसाई हैं, जो सीएए लागू होने से पहले से चर्च में रजिस्टर्ड हैं।
उन्होंने बताया कि उनके साउथ दिल्ली स्थित अफगान चर्च में पिछले तीन साल में कोई नया मेंबर एड नहीं हुआ है। वह खुद नजर रख रहे हैं कि कोई सीएए प्रावधान का फायदा उठाने के लिए मेंबर न बने। अगर कोई मेंबर एड होता है तो वह एजेंसियों को जानकारी देंगे। आबिद ने बताया कि वह 13 साल पहले अफगानिस्तान से भारत आए थे, क्योंकि वहां ईसाइ धर्म अपनाने के बाद रहना जीना मुश्किल हो गया था।
आबिद बताते हैं कि दिल्ली में उनकी तरह ही बहुत सारे शरणार्थी हैं। वह लाजपत नगर के अफगान ईसाइ चर्च में फादर हैं। ईसाइ धर्म अपनाने से पहले आवेदन करने वाले शख्स को एक साल तक चर्च के कार्यक्रम-प्रार्थना में शामिल होना होता है, उसके बाद ही धर्म परिवर्तन होता है। जहां तक सवाल रोहिंग्या का है तो उनके चर्च रोहिंग्या तो दूर, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश के मुस्लिम भी चर्च के मेंबर नहीं बन सकते हैं। यह चर्च सिर्फ अफगान ईसाईयों के लिए है।
उन्होंने बताया कि भारत में शरण लेने वाले ज्यादातर अफगानिस्तानियों ने संयुक्त राष्ट्र हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) में रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है या फिर वह टूरिस्ट वीजा पर हैं। यह हो सकता है कि बहुत सारे अफगान मुस्लिम सीएए लागू होने के बाद ईसाई धर्म अपनाना चाहते हैं, लेकिन उनके चर्च में यह आसान नहीं।
एक डेटा के अनुसार, करीब 1.50 लाख से 1.60 लाख अफगानी मुसलमान दिल्ली के ईस्ट कैलाश, लाजपत नगर, अशोक नगर और आश्रम में रहते हैं। इसके अलावा एक आकड़ा है कि करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान पूरे भारत में रहते हैं। जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमान 2012 से देश में रह रहे हैं और अब खुद को बांग्लादेशी बताते हैं और ईसाई धर्म को भी अपना रहे हैं।
टीम बेबाक