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जानिए क्या है ‘उज्जायी प्राणायाम’, इसे करने की क्या है विधि और लाभ

preety shukla by preety shukla
January 9, 2021
in सेहत
1 min read
0
उज्जायी प्राणायाम

New Delhi: ‘उज्जायी’ शब्द का अर्थ होता है- विजयी या जीतने वाला। इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है। अथार्त उज्जयी प्राणायाम से हम अपनी सांसो पर विजय पा सकते हैं और इसलिए इस प्राणायाम को अंग्रेजी में Victorious breath कहा जाता हैं। जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रणायाम का अभ्यास शर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है। इसका अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है- खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।

खड़े होकर करने की विधि :-

  • सबसे पहले सावधान कि अवस्था में खड़े हो जाएँ। ध्यान रहे की एड़ी मिली हो और दोनों पंजे फैले हुए हों।
  • अब अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होटों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।
  • अब बाहर नीकली हुई जीभ से अन्दर की वायु को बहार निकालें।
  • अब अपनी दोनों नासिकायों से धीरे- धीरे व् गहरी स्वास लें।
  • अब स्वांस को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।
  • फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
  • ऐसे ही इस क्रिया को 7-8 बार तक दोहरायें।
  • ध्यान रहे की इसका अभ्यास 24 घंटे में एक ही बार करें।

बैठकर करने की विधि :-

  • सबसे पहले किसी समतल और स्वच्छ जमीन पर चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन, सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
  • अब अपनी दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें इतना खींचे की हवा फेफड़ों में भर जाये।
  • फिर वायु को जितना हो सके अंदर रोके।
  • फिर नाक के दायें छिद्र को बंद करके, बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले।
  • वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या
  • समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है।
  • इसका अभ्यास कम से कम 10 मिनट तक करें।

लेटकर करने की विधि :-

  • सबसे पहले किसी समतल जमीन पर दरी बिछाकर उस पर सीधे लेट जाए। अपने दोनों पैरों को सटाकर रखें।
  • अब अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
  • अब धीरे–धीरे लम्बी व् गहरी श्वास लें।
  • अब श्वास को जितना हो सके इतनी देर तक अंदर रखें।
  • फिर अपने शरीर को थोडा ढीला छोड़कर श्वास को धीरे -धीरे बहार निकाल दें।
  • इसी क्रिया को कम से कम 7-8 बार दोहोरायें।

उज्जयी प्राणायाम के लाभ

  • यह आपकी उम्र को स्वस्थ रूप में बढ़ाने में मदद करती है। शास्त्रों में लिखा गया है के जो मनुष्य नियमित रूप से इस प्राणायाम का अभ्यास करता है उसको मौत भी जल्दी नहीं आती।
  • उज्जयी प्राणायाम बहुत लंबे समय तक आपको जवां रखता है और साथ ही साथ आपकी एजिंग प्रोसेस को भी धीमी कराता है।
  • यह थाइरोइड रोगियों के लिए बहुत उपयुक्त प्राणायाम है।
  • गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉइड को भी स्वस्थ रखता है।
  • उज्जयी प्राणायाम मस्तिष्क से गर्मी दूर कर इसे ठंड पहुंचाता है।
  • इसका नियमित अभ्यास से आपकी पाचान सकती बढ़ती है। (हठप्रदीपिका 2/52)
  • यह नाड़ी से सम्बंधित विकार को दूर करता है और ऊर्जा के प्रवाह में मदद करता है। (हठप्रदीपिका 2/53)
  • यह गले से बलगम को हटाता है और फेफड़े के हर तरह की बीमारियों को रोकता है। (हठप्रदीपिका 2/53)
  • यह हृदय रोगियों के लिए बहुत अच्छा प्राणायाम है।
  • इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास साधक को बलगम, अपच, पेचिश, लीवर की परेशानी, खांसी या बुखार जैसी बीमारियों से बचाता है।

उज्जयी प्राणायाम करते समय सावधानियां :-

  • यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए । इस प्राणयाम की अविधि एक साथ नहीं बढानी चाहिए। इस प्राणायाम में साँसे गले की नली को छुकर जानी चाहिए। सिर दर्द व् चक्कर आने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए। ज्यादा जोर लगाकर आवाज़ न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें।
  • उज्जयी प्राणायाम उन्हें नहीं करनी चाहिए जिनका थाइरोइड बहुत अधिक बढ़ा हुआ हो। ऐसे व्यक्ति को किसी विशेषज्ञ के निगरानी में इस प्राणायाम की प्रैक्टिस करनी चाहिए।
  • निम्न रक्तचाप वाले व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों को कुंभक नहीं करना चाहिए, वो बिना कुंभक के इसे कर सकते हैं।

आसन और प्राणायाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए यूट्यूब पर देखें योग गुरु पंकज शर्मा या शरणम (sharnam) चैनल ।

टीम बेबाक/योग गुरु पंकज शर्मा

Tags: Ujjayi Pranayam
preety shukla

preety shukla

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