New Delhi: शीतकारी का अर्थ होता है ठंडक मतलब ऐसी चीज जो हमारे शरीर और मन को ठंडक पहुचती है। इस प्राणायाम को करते समय मुंह से ‘सीत्’ शब्द की आवाज निकालनी होती है। शीत का मतलब होता है ठंडकपन और शब्द ‘कारी’ का अर्थ होता है जो उत्पन्न हो। और इसी कारण से इस प्राणायाम का नाम शीतकारी प्राणायाम पड़ा। यह प्राणायाम भी बेहद सरल और उपयोगी प्राणायाम है। यह अभ्यास कूलिंग प्राणायाम के अंतर्गत आता है। इन अभ्यासों को गर्मी के मौसम में ही करना चाहिए। चलिए जानते हैं इसके फायदे और इस प्राणायाम को कैसे किया जाता है।
शीतकारी प्राणायाम करने की विधि :-
1-सबसे पहले किसी स्वच्छ व् समतल जमीन पर दरी बिछा कर उस पर सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाये।
2-अब अपने मेरुदंड व् सिर को सीधा रखें।
3-अब अपने नीचे के जबड़े के दांतों को ऊपर के जबड़े के दांतों पर रखें।
4-अब अपने दांतों के पीछे अपनी जीभ को लगाये और अपने मुंह को थोडा सा खुला रखें ताकि श्वास अंदर आ सके।
5-अब अपनी जीभ को पीछे की ओर मोड़कर तालू से जीभ के अग्र भाग को लगा लें।
6-अब अपने दातों के बिच की जगह से श्वास धीरे-धीरे अन्दर लें।
7-श्वास ऐसा लें की सी की आवज हो।
8-अब अपनी श्वास को कुछ क्षणों तक रोक कर रखे फिर बाद में नाक से निकाल दें।
9-यही प्रिक्रिया 10-15 बार दोहरायें। फिर धीरे इसे प्रतिदिन 15 से 30 मिनट तक।
शीतकारी प्राणायाम लाभ
1.वैसे तो शीतकारी प्राणायाम बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ के बारे में बताया जा रहा है।
2.तनाव कम करने में: इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आप तनाव को बहुत हद तक कम कर सकते हैं।
3.चिंता को दूर भागने में: यह प्राणायाम चिंता को कम करने में बहुत अहम रोल निभाता है।
4.डिप्रेशन के लिए रामबाण है: अगर आप डिप्रेशन से ग्रसित हैं तो इस प्राणायाम का अभ्यास जरूर करनी चाहिए। यह डिप्रेशन को कम करने में रामबाण का काम करता है।
5.क्रोध: यह प्राणायाम गले और क्रोध की बीमारियों के लिए लाभकारी होता है। यह आपके गुस्सा को भी कम करता है।
6.भूख और प्यास: भूख और प्यास को नियंत्रित करने में मददगार होता है।
7.रक्तचाप कम करता है : इस प्राणायाम से ठंडकपन का अहसास होता है। यह शरीर में शीतलता लाती है और रक्तचाप कम करता है।
8.पित्त दोष: पित्त दोष (गर्मी) के असंतुलन से होने वाली बीमारियों में फायदेमंद होता है।
9.हार्मोन्स के स्राव: जननांगों में हार्मोन्स के स्राव को नियंत्रित करता है।
10.वासना : वासना की मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को कम करता है।
11.शांत करने में: चूंकि यह प्राणायाम आपके शरीर को शीतलता प्रदान करती है जिसके कारण यह आपको शांत करने में अहम् भूमिका निभाता है।
12.स्वास्थ्य के लिए: यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसका नियमित अभ्यास से आप बहुत सारे परेशानियों से बच सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम सावधानियां
1.सर्दी में इस प्राणायाम को न करें।
2.अस्थमा , सर्दी ,खांसी या टॉन्सिल से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
3.कब्ज के पुराने मरीजों को भी ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
4.सर्दियों में इस प्राणायाम से बचें
5.जिनका रक्तचाप कम रहता हो उन्हें इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।
आसन और प्राणायाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए यूट्यूब पर देखें योग गुरु पंकज शर्मा या शरणम (sharnam) चैनल ।