Shahjahanpur: शाहजहांपुर का छात्र मर्चेंट नेवी में नौकरी के नाम पर ईरान में फंस गया। जिसे विदेश मंत्रालय की मदद से हिंदुस्तान वापस लाया गया। जालसाजों ने ईरान में पासपोर्ट और नगदी छीनकर छात्र को कई यातनाएं भी दीं। फिलहाल ईरान से अपने वतन पहुंचे युवक ने विदेश मंत्रालय और सांसद को शुक्रिया कहा है।
अपने परिवार वालों से गले मिल रहे इस युवक का नाम रिंकू है जो कि शाहजहांपुर के कलान थाना क्षेत्र के गांव जखिया का रहने वाला है। रिंकू पिछले 15 दिनों से ईरान में खौफ के साये में भूखा प्यासा इधर उधर भटक रहा था। रिंकू का कहना है कि उसने दिल्ली से मर्चेंट नेवी का कोर्स किया किया था। उसके साथ में मर्चेंट नेवी का कोर्स करने वाले उसके दोस्त सौरभ सोम ने ईरान में उसे नौकरी दिलाने का झांसा दिया। जिसके एवज में रिन्कू से 3 लाख 50 हज़ार रुपये भी ठग लिए।
इसके बाद 15 दिसंबर 2020 को उसे पानी के जहाज से ईरान ले जाया गया। रिंकू का कहना है कि वहां पहुंचकर एक होटल में उसे यातनाएं दी गई और जान से मारने की कोशिश की गई। साथ ही उसकी नगदी और पासपोर्ट भी छीन लिया गया। किसी तह होटल से भागकर उसने अपनी जान बचाई। रिंकू 15 दिनों तक ईरान में जगह-जगह भटकता रहा और छुपने की जगह तलाशता रहा।
ईरान में फंसे रिन्कू ने अपने मोबाइल के जरिए शाहजहांपुर में अपने परिवार को पूरी दास्तां बताई। जिसके बाद परिवार के लोगों ने शाहजहांपुर के सांसद अरुण कुमार सागर से संपर्क किया। अरुण सागर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से संपर्क किया। जिसके बाद विदेश मंत्रालय हरकत में आया और ईरान में फंसे रिंकू को ईरान के भारतीय दूतावास लाया गया। भारत सरकार की कोशिशों के बाद आज रिंकू अपने वतन वापस लौट आया है। रिंकू का कहना है कि जब वह अपने साथ हुई यातनाओ को कोई याद करता है तो उसके शरीर में सिरहन दौड़ जाती है।
हालांकि रिंकू को ईरान से भारत लाने के लिए शाहजहांपुर के सांसद अरुण सागर का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। सूचना मिलने के बाद उन्होंने लगातार विदेश मंत्रालय से अपना संपर्क जारी रखा और आज उनकी कोशिश से ही रिंकू अपने परिवार के पास पहुंच पाया है।
ऐसे में अगर आप खाड़ी देशों में नौकरी के लिए जा रहे हैं तो नौकरी की जगह और भेजने बाली एजेंसी के बारे में पूरी तरीके से जानकारी इकट्ठा कर लें। इसके अलावा विश्वसनीय एजेंसी के द्वारा ही विदेश जाएं। खाड़ी देशों में अब तक कई भारतीय युवाओं के साथ धोखाधड़ी की जा चुकी है। ऐसे में विदेश मंत्रालय की यह कोशिश वाकई काबिले तारीफ है जिसने रिंकू को अपने वतन अपने परिवार तक पहुंचाया।
टीम बेबाक