New Delhi: दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में 7 साल की मासूम को डॉक्टरों ने नई जिंदगी दी है। बच्ची के राइट पैरोटिड ग्लैंड में ट्यूमर था। इस सर्जरी में जरा सी असावधानी बच्ची के लिए ख़तरा बन सकती थी लेकिन गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और मासूम के चेहरे पर दोबारा मुस्कान ला दी। बेबाक न्यूज़ ने इस बच्ची को परी नाम दिया है।
दरअसल ऐसे ऑपरेशन में सबसे बड़ा चैलेंज फेशियल नर्व को बचाते हुए ट्यूमर को निकालना होता है क्योंकि फेशियल नर्व में जरा सी इंजरी होने से पेशेंट का चेहरा टेढ़ा हो सकता है।
3 फरवरी दिन बुधवार को सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉक्टर संगीत अग्रवाल (Head and Neck Oncology Surgeon) और उनकी टीम ने इस कठिन ऑपरेशन को सफलतापूवर्क अंजाम दिया। इस सर्जरी करीब दो घंटे का वक्त लगा। ऐसी सर्जरी में रिलैक्सेंट फ्री एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे फेशियल नर्व को पहचाना जा सके।

ऑपरेशन के बाद परी के परिवारवाले बेहद खुश हैं। उनसे जब बेबाक न्यूज़ ने बात की तो उन्होंने बताया कि हमने कई डॉक्टरों से सलाह ली.. लेकिन सभी ने बताया कि सर्जरी के बाद बच्ची का चेहरा टेढ़ा हो सकता है। उन्होंने बताया कि जब वो डॉ. संगीत अग्रवाल से मिले तो उन्होंने पूरा भरोसा दिलाया और कहा कि वो परी के चेहरे को कुछ नहीं होने देंगे। परी के परिजनो ने डॉ. संगीत का शुक्रिया अदा किया।
बेबाक न्यूज़ के रिपोर्टर ने जब इस केस के बारे में डॉक्टर संगीत अग्रवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि पैरोटिड ग्लैंड के डीप पार्ट में ट्यूमर था ऐसी स्थिति में फेशियल नर्व ट्यूमर से उलझी रहती है। सर्जरी के दौरान फेशियल नर्व को बचाते हुए ट्यूमर को निकालना बेहद मुश्किल होता है। इतना ही नहीं डॉ अग्रवाल बताते हैं कि परी के चेहरे पर सर्जरी का निशान ना बने इसलिए कान के पीछे से कट (Face Lift Incision) लगाकर ट्यूमर को निकाला है। जिससे परी का पूरा चेहरा सुरक्षित है।
डॉ. संगीत के अनुसार “वो सौ से भी ज्यादा सफल पैरोटिड सर्जरी कर चुके हैं लेकिन इतनी कम उम्र की बच्ची की सर्जरी उन्होंने पहली बार की है। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि अगर समय रहते इसकी सर्जरी नहीं की गई होती तो ये आगे चलकर कैंसर जैसी घातक बीमारी का रूप ले सकता था। हालांकि अब परी पूरी तरह सुरक्षित है।
टीम बेबाक