New Delhi: कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण देश में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। ऐसे में बोर्ड परीक्षा देने के लिए तैयारियां कर रहे छात्र और अभिभावक दोनों ही दबाव महसूस कर रहे हैं। इसी दबाव को कम करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा भी की है, लेकिन इस बार ये दबाव परीक्षा से ज़्यादा कोरोना का है।
परीक्षा की तैयारी कर रहे इन छात्रों को कोरोना से बचाव की चिंता तो सता ही रही है। साथ ही अभी इस बात को लेकर भी इन छात्रों में भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है की आखिर परीक्षा का स्वरूप ऑन लाइन होगा या ऑफलाइन। दरअसल, इन छात्रों का कहना है कि जब परीक्षाओं की तारीख की घोषणा हुई थी, तब इतने मामले नहीं आ रहे थे। जबकि अब रोज़ाना लाखों केस आ रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा में अब ज्यादा समय नहीं बचा है लेकिन इस बार तैयारियों का स्वरूप भी बदला हुआ नजर आ रहा है। छात्र अपनी ग्रुप स्टडी तो कर रहे हैं लेकिन कोविड नियमों के साथ जिसमें मास्क लगाना और हाथों को सैनेटाइज़ करना सबसे अहम हो गया है। लेकिन बावजूद इसके अभिभावक चाहते हैं कि वर्तमान हालात में जब सबसे ज्यादा 17 साल से लेकर 40 साल के युवा इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं तो ऐसे में परीक्षाएं ऑनलाइन ही कराई जाए। वहीं, अभिभावक बच्चों की सेहत को लेकर भी फ़िक्रमंद नजर आ रहे हैं।
ये मामला सही में गंभीर नजर आता है। खुद मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि बच्चों ने पूरे साल ऑनलाइन क्लास की है, ऐसे में ये दबाव स्वभाविक नज़र आता है। ऐसे में अभिभावकों व सरकार को ज़िम्मेदारी का अलग रूप से निर्वहन करना होगा।
देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर दिखने लगा है और अब रोज़ाना 1 लाख से ज्यादा आ रहे हैं और आंकड़ो की मानें तो प्रति सेकेंड 1 से ज्यादा नए संक्रमित सामने आ रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों की परेशानी स्वाभाविक ही नज़र आती है।
टीम बेबाक