New Delhi: आज से 14 दिन पहले यानी 10 सितंबर की ही बात है जब अंबाला एयरबेस पर औपचारिक तौर पर फ्रांस से आये 5 राफेल लड़ाकू विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ फ्रांस की रक्षा मंत्री भी शामिल थे। पानी के बाछौर से राफेल को सलामी दी गई। लेकिन महज 14 दिन बाद ही राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दॉसो एविएशन विवादों में घिर गई है। दॉसो एविएशन पर सवाल उठाया है देश में ऑडिट करने वाली एजेंसी सीएजी ने।
सीएजी ने अपने ऑडिट रिपोर्ट में कहा है कि 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीदारी के बदले ऑफसेट एग्रीमेंट के 30 फीसदी के हिस्से के तहत डीआरडीओ को हल्के लड़ाकू विमान इंजन कावेरी को तैयार करने के लिये हाईएंड टेक्नोलॉजी मुहैया कराना था। जिसे दॉसो एविएशन ने अब तक डीआरडीओ को मुहैया नहीं कराया है। सीएजी के मुताबिक, कंपनी ये भी नहीं बता रही कि कब तक वो ये टैक्नोलॉजी मुहैया करायेगी।
सीएजी के ऑडिट रिपोर्ट में इस खुलासे के बाद कांग्रेस को मोदी सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि सबसे बड़ी डिफेंस डील की क्रोनोलॉजी खुलने लगा है।
उन्होंने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में ये स्वीकार किया गया है कि राफेल ऑफसेट में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पूरा नहीं हुआ है। सबसे पहले तो मेक इन इंडिया से मेक इन फ्रांस हुआ और अब डीआरडीओ को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी नहीं हुआ। पर मोदी जी कहेंगे सब चंगा सी।
गौरतलब है कि साल 2005 में भारत ने ऑफसेट्स पालिसी को लागू किया गया था, जिसके तहत डिफेंस जरूरत की खऱीदारी पर विदेशी कंपनी को भारत में डिफेंस मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए निवेश करना होगा। साल 2005 से लेकर मार्च 2018 तक देश में घरेलू डिफेंस मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 66427 करोड़ रुपये के 46 ऑफसेट्स कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसमें से विदेशी कंपनियों ने दिसंबर 2018 तक 19,223 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स कमिटमेंट को पूरा करना चाहिए था, लेकिन केवल 11396 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स का कॉन्ट्रैक्ट पूरा किया गया।
विदेशी कंपनियों द्वारा जो ऑफसेट्स क्लेम रक्षा मंत्रालय को सौंपा गया, उसमें से केवल 5457 करोड़ रुपये के ऑफसेट्स क्लेम को ही सही पाया गया। गौरतलब है कि 2016 में मोदी सरकार ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों को खरीदारी को लेकर डील की थी। तब से इसपर राजनीतिक वार पलटवार जारी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोपों की झड़ी लगा दी थी और डील में भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया था। 2019 का लोकसभा चुनाव भी इसी मसले पर लड़ा गया।
फ्रांस से राफेल की पहली किस्त भारत आ गई है और माना जा रहा है अगले कुछ महीनों में राफेल की दूसरी खेप भी भारत में लैंड कर जाएगा। चीन की सीमा पर राफेल उड़ान भी भर रहा है। तब एक बार फिर राफेल सौदे को लेकर राजनीति गर्म हो गई है।
टीम बेबाक