Chhatisgarh: बीजापुर में शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 24 जवान शहीद हो गए। शहीदों में DRG के 8, STF के 6, कोबरा बटालियन के 9 और बस्तर बटालियन का एक जवान शामिल हैं। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह नक्सलियों ने जाल बिछाकर सुरक्षाबलों पर हमला किया।
नक्सलियों ने U शेप में फंसाया
सुरक्षाबलों के पास इनपुट था कि इलाके में नक्सलियों का टॉप कमांडर है इसलिए यह ऑपरेशन चलाया गया। लेकिन नक्सली पहले से तैयारी में थे और उन्होंने इसके लिए ‘U-शेप’ जाल बिछाया हुआ थाा। दरअसल, सिलगेर के जंगल में जोनागुड़ा के पास सीआरपीएफ की कोबरा, बस्तरिया बटालियन, डीआरजी और एसटीएफ के करीब 2000 जवान पिछले दो दिनों से अलग-अलग ऑपरेशन पर निकले हुए थे। शनिवार सुबह जब फोर्स को सूचना मिली कि जोनागुड़ा के पास नक्सलियों का जमावड़ा है तो वे सतर्क हो गए।
इसके अलावा पहले भी यहां सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ हलचल दिखाई दे रही थी। ऐसे में ये सूचना फोर्स के पास आई तो जोनागुड़ा की बढ़ने का प्लान किया गया। इसके बाद सभी तरह की फोर्स, जो उस समय आसपास के जंगलों में सर्चिंग कर रही थी, उसे मैसेज दिन जाने लगे कि वो जोनागुड़ा की ओर बढ़ें।
चूंकि सभी फोर्स को इनपुट मिल रहे थे कि नक्सली यहां है, ऐसे में एक के बाद एक फोर्स की टुकड़ियां यहां पहुंचती रहीं। वहीं पहले से U शेप में घात लगाकर बैठे नक्सली इसी इंतजार में थे। फोर्स जैसे ही इस जोन में बड़ी संख्या में घुसी, वह एंबुश में फंस गई। नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ये मुठभेड़ करीब 5 घंटे चली। नक्सली ऊपरी इलाकों में थे और फोर्स के एंट्रेंस पर नजर रखे हुए थे, लिहाजा उन्होंने फौज का बड़ा नुकसान पहुंचाया।
क्या है U शेप एम्बुश?
-बीजापुर में नक्सलियों ने जवानों को घेरने के लिए यू शेप घेरा बनाया था ‘
-यू शेप घेरे में तीन तरफ से अम्बुश लगाई जाती है
-जिस रास्ते से जवान दाखिल हुए थे उसी रास्ते से बचकर निकल सकते थे
-यू शेप अम्बुश में जवान तीन तरफ से घिरे थे , बचने के लिए एक ही रास्ता था
-जिस रास्ते से जवान आये थे , उसी रास्ते से निकलकर बच सकते थे
-जीरागांव , जहाँ ये वारदात हुई वो जगह तीन तरफ पहाड़ों से घिरी है
-नक्सलियों ने पहले ही इस गांव में यू शेप अम्बुश लगा रखा था
-जवान जैसे ही गांव में दाखिल हुए , नक्सलियों ने तीन तरफ से गोली बरसानी शुरू कर दी
-जवान बचने के लिए मुड़े , लेकिन नक्सलियों ने यू शेप घेरा बना लिया
-जवान-नक्सलियों द्वारा बनाये यू शेप घेरे में फंस चुके थे
बीएसएफ से रिटायर्ड कमांडेंट लईक अहमद सिद्दीकी बताते हैं, ‘फरवरी के बाद मौसम में बदलाव होता है। पतझड़ के मौसम के चलते जंगल में बड़े बदलाव आते हैं। पेड़ों पर पत्ते नहीं रहते, जिसके चलते दूर ऊंचाई पर बैठे नक्सली जवानों की मूवमेंट को आसानी से देखते रहते हैं। यही वजह है कि पूरे साल बड़े हमलों का इंतजार करने वाले नक्सली टीसीओसी (TCOC) को फरवरी-जून में अंजाम देते हैं।’
नक्सलियों ने फरवरी से जून के बीच होने वाले खास हमले की शक्ल में इसे अंजाम दिया है। इस हमले को टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन यानी TCOC कहा जाता है। नक्सल प्रभावित इलाका हो या फिर आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट, हर जगह सुरक्षा बल रूटीन गश्त करते हैं। खासतौर से नक्सली TCOC के तहत सुरक्षा बलों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। अपने ही लोगों से सुरक्षा बलों तक कई तरह की झूठी सूचनाएं पहुंचाते हैं। जैसे नक्सलियों के बड़े नेता एक जगह मीटिंग के लिए जमा होने वाले हैं। नक्सली बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं और किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं।
टीम बेबाक