New Delhi: मणिपुर चक्र: नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र से जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
नाभि चक्र जो हमारे सूक्ष्म शरीर में सात चक्रों के क्रम में तीसरे स्थान पर स्थित है, जिसको मणिपुर चक्र कहा जाता है। मणिपुर चक्र नाभि क्षेत्र के ठीक ऊपर आपके पेट पर स्थित है। आपके पाचन तंत्र को ठीक करने के अलावा, यह चक्र आपके मानसिक और आध्यात्मिक भावनाओं को भी शांत रखता है।
मणिपुर चक्र प्रतीकात्मक रूप से दस पंखुडियां वाला कमल है। जिसका रंग पीला है। मुख्य विषय जो मणिपुर द्वारा नियंत्रित होते हैं, वे हैं- निजी बल, भय, व्यग्रता और सहज या मौलिक से लेकर जटिल भावना तक के परिवर्तन। शारीरिक रूप से मणिपुर चक्र पाचन, मानसिक रूप से निजी बल, भावनात्मक रूप से व्यापक्ता और आध्यात्मिक रूप से सभी उपादानों के विकास को नियंत्रित करता है और अगर बात करें सामाजिक और परिवारिक रिश्तों की तो जब यह चक्र जाग्रत होता है तो व्यक्ति के अंदर नेतृत्व की भावना आती है और वो एक अच्छा और कुशल मुखिया बनता है इसके अलावा वो अपने जीवन से संतुष्ट हो जाता है जिससे उसके अंदर का लालच खत्म हो जाता है और वो अपने साथ या अपने से छोटा को हमेशा खुश रख एक आदर्श मुखिया साबित होता है।
मणिपुर चक्र बाधित होने पर मनुष्य में असंतोष की भावना बढ़ जाती है। मनुष्य संसारिक कर्मों और लालसा में पूरी तरह उलझ कर रह जाता है। उसके मन में संतोष का भाव नहीं रहता, वो हमेशा अपनी असंतुष्टि से परेशान रहता है। हमेशा कुछ पाने की की इच्छा से दुखी रहता है।
मणिपुर चक्र को जागृत करने के विभिन उपाय हैं, जिनमे से आप अपनी सुविधा अनुसार कुछ उपायों को चुन कर उनका अभ्यास कर सकते हैं।

1) मणिपुर चक्र का रंग पीला है अतः इस चक्र को प्रभावित करने के लिए पीले रंग का अधिकतम उपयोग करें, जैसे की पीले वस्त्र पहनें, पीले फल सब्जी और पेय पदार्थ ग्रहण करें, पीले फूल उगाएं, कमरे की दीवारों का रंग पीला करवाएं और परदों का रंग पीला रखें, पीला नग पुखराज धारण करें, चन्दन का तिलक लगाएं आदि।
2) योगाभ्यास करते वक़्त पीले आसन (yoga mat) का उपयोग करें और हो सके तो पीले कपड़े पहने और वो आसन करें जो हमारे पेट पर खिचाव उत्पन करते हैं, उनका अभ्यास करें। जैसे पवनमुक्तासन, भुजंग आसन, धनुर आसन, मंडूकासन, उश्ट्र आसन, सूर्य नमस्कार, नोली क्रिया, भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम करना चाहिए।
आसनों और प्राणायाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप यूट्यूब पर योग गुरु पंकज शर्मा या उनके चैनल शरणम (sharnam) को देख सकते हैं। इसके इलावा ऐसे व्यायाम व कसरत करें जिसका अभ्यास करने से हमारी नाभि तेजी से धड़कने लगती है। इसके अलावा दौड़ लगाना, तैरना, नाचना, खेलना, एरोबिक्स (aerobics) व्यायाम करना, ट्रेकिंग करना, पहाड़ चड़ना, मेहनत वाले काम करें, एडवेंचर (adventure) के कार्य करना व जीवन मे एडवेंचर उठाना, हिम्मत भरे काम करना आदि सब ऐसे कार्य हैं, जो हमारे नाभि चक्र को मजबूत बनाते हैं।
3) हमेशा ध्यान रखें अपनी नाभि को अपने स्थान से ना हटने दें, जिसको नाभि टलना, धरण पड़ना या इंग्लिश में नेवल डिसपलेसमेन्ट (Naval Displacement) भी कहते हैं। जिसके लिए आप योगाभ्यास करें या अपने आप को उन कामों से दूर रखें, जिससे नाभि टलने का ख़तरा हो।
4) ध्यान की अवस्था में शांत बैठ जाएं, कमर सीधी व आँखे बंद, अपना पूरा ध्यान अपने पेट पर नाभि के पास मणिपुर चक्र पर केंद्रित करें। अपने पेट को सांस के आने जाने के कारण जो वह बारम्बार फैलता व सिकुड़ता है। इस प्रक्रिया पर अपना ध्यान टिकाने का अभ्यास करें। आप इसके साथ मंत्र भी सयुंक्त कर सकते हैं। जैसे की जब भी सांस लेने के कारण पेट फूले तो मानसिक रूप से ऊं का उचारण करें और जब पेट सिकुड़े तो ” रं ” बीज मंत्र का उचारण करें।
इसके अलावा हमेशा अपने पेट से लंबी और गहरी सांस लेने की आदत डालें। छोटी-छोटी और जल्दी-जल्दी सांस ना लें। जब भी आपकी सांस अंदर आये तो आपका पेट फूलना चाहिए और जब सांस बहार निकले तो पेट पूरा अंदर जाना चाहिए। इसके लिए आप अनुलोम-विलोम या सुख पूर्वक प्राणायम का अभ्यास करें।
नवरात्रि पर माता चंद्रघंटा को खुश कर के अपने मणिपुर चक्र को जागृत कैसे करें
माता चन्द्रघंटा : मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाएं और माता चन्द्रघंटा का फ़ोटो सामने रख के माता का ध्यान के साथ माता के मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।’ 11 माला का जाप करें ( 108 × 11 ) उसके बाद जितने देर आप से आरामदायक स्थिति में बैठा जा सकता है, उतनी देर ध्यान की मुद्रा में आसन में बैठकर, नाभि चक्र के स्थान पर, जो कि नाभि से 3 अंगुल ऊपर स्थित है, वहां पर अपना ध्यान एकाग्र करते हुए ” रं ” बीज मंत्र का उचारण करें। इससे हमारा मणिपुर चक्र जागृत होता है और हमें कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।
योग गुरु पंकज शर्मा